मंगलवार, 16 अक्तूबर 2012

एक पिता का ख़त पुत्री के नाम !(अंतिम भाग )




सतीश सक्सेना

परनिंदा और कटु शब्दों का
बेटी त्याग हमेशा करना   
अगर रहे संयम वाणी पर,
घर में कभी अनर्थ ना होता
कर कल्याण सदा निज घर का बेटी साध्वी बनी रहोगी 
पहल करोगी अगर नंदिनी , घर की रानी तुम्ही रहोगी ! 

ऐसा कोई शब्द ना बोलो 
दूजा मन आहत हो जाए
तेरी जिह्वा की लपटों से 
अन्य ह्रदय घायल हो जाए 
चारों धामों पर जाकर भी मन में शान्ति नही पाओगी
पहल करोगी अगर नंदिनी घर की रानी तुम्ही रहोगी !

कभी न भूलो बेटी! तुमने,
जन्म लिया है मानव कुल में
कुछ विशेष वरदान हमारे ,
कुल को दिए विधाता ने ,
ज्ञान असीमित लेकर बेटी तुम भविष्य निर्माण करोगी
पहल करोगी अगर नंदिनी , घर की रानी तुम्ही रहोगी !

ज्ञान तुम्हारा सार्थक होगा 
घर बाहर दोनों जगहों में 
आशीषों के ढेर लगेंगे ,
जब परिवार तुम्हारे में 
परहित साधक बनो लाडली पूरी तभी साधना होगी ,
पहल करोगी अगर नंदिनी घर की रानी तुम्ही रहोगी

किसने किसका दिल पहचाना 
कौन ह्रदय की भाषा जाने ?
किसने देखा है ईश्वर को ?
किसका पेट भरा बातों से ?
जो सोंचा है करके दिखाओ , सारी श्रष्टि तुम्हारी होगी !
पहल करोगी अगर नंदिनी घर की रानी तुम्ही बनोगी !

वाद विवाद जन्म देता है , 
पति पत्नी के मध्य कलह को
गृह विनाश का बीज उखाडे
नही उखड़ता है, जमने पर
ऋषि मुनियों का दिया मौन अपनाओ घर में शान्ति रहेगी 
पहल करोगी अगर नंदिनी, घर की रानी तुम्ही रहोगी ! 

मौन अस्त्र से गौतम जीते 
अंगुलिमाल झुक गया आगे 
मितभाषी गांधी के आगे ,
झुका महा साम्राज्यवाद भी 
क्रोधित मन शर्मिंदा होगा , अगर मौन को तुम परखोगी !
पहल करोगी अगर नंदिनी, घर की रानी तुम्ही रहोगी !

याद रहे द्रोपदी सरीखी !
वाचालता कभी न आए 
उतना बोलो , जितना 
आवश्यक मंतव्य बताने को 
तेज बोलने वाली नारी, श्रद्धा कभी नही पायेगी !
पहल करोगी अगर नंदिनी,घर की रानी तुम्ही रहोगी !


इतना प्यारा जीवन साथी 
पुत्री धन्य हुईं तुम पाकर 
शायद तेरे निर्मल मन ने 
जीता ह्रदय विधाता का ,
निश्छल मन ईशान को लेकर, बेटी  जीत  तुम्हारी होगी !
पहल करोगी अगर नंदिनी , राज कुमारी तुम्ही  लगोगी  !

16 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर ...
    सहेज के रखने लायक रचना है...
    बहुत प्यारी...
    आभार सतीश जी..शुक्रिया दी..

    सादर
    अनु

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  2. बहुत सार्थक और प्यारी रचना...

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  3. बहुत ही सार्थक एवं उपयोगी सीख देती तथा पिता के प्यार और ममता को परिभाषित करती अनमोल रचना ! इस रचना के लिये सतीश जी को ढेर सारा साधुवाद एवं रश्मिप्रभा जी आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !

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  4. अनु ने ठीक कहा...सहेजने लायक रचना...आभार!!

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  5. सतीश जी की यह रचना मेरी पसंदीदा रचनाओं में से है .... बहुत सुंदर ।

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  6. no comments..vani ko muk kar gayi...abhar sunder parstuti ke liye

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  7. ऐसा कोई शब्द ना बोलो
    दूजा मन आहत हो जाए
    तेरी जिह्वा की लपटों से
    अन्य ह्रदय घायल हो जाए
    रचना का प्रत्‍येक शब्‍द मन को छूता हुआ ... आभार इस प्रस्‍तुति के लिये

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  8. मौन अस्त्र से गौतम जीते
    अंगुलिमाल झुक गया आगे
    मितभाषी गांधी के आगे ,
    झुका महा साम्राज्यवाद भी
    क्रोधित मन शर्मिंदा होगा , अगर मौन को तुम परखोगी !
    पहल करोगी अगर नंदिनी, घर की रानी तुम्ही रहोगी !

    सुन्दर व सार्थक रचना ..........

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  9. बहुत सुंदर सीख देती हुई प्यारी रचना...मगर घर की रानी बनने के लालच में नहीं अपने अंतर की मधुरता बनाये रखने के लिए ही हमें इन बातों को अपनाना है...

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  10. ...बहुत सुन्दर शिक्षा पुत्री के लिए पिता की तरफ से दी गई है!...जीवन में खुशियाँ भरने के लिए कुछ नियमों का पालन तो करना ही पड़ता है!

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